वन स्टॉप सेंटर ने लॉकडाउन में भी निभाया अपना पूर्ण दायित्व

निराश्रित को आश्रय दिया और बच्चों से मिलाया*

इंदौर. महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले वन स्टॉप सेंटर ने लॉक डाउन के दौरान भी अपना दायित्व निभाया। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रकरणों को सुलझाया साथ ही निराश्रितों को आशय प्रदान किया।

वन स्टॉप सेंटर को सखी केंद्र के नाम से भी जाना जाता है। इंदौर वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक डॉ वंचना सिंह परिहार ने बताया कि, सुमन (परिवर्तित नाम) उसके पति सुरेंद्र (परिवर्तित नाम) की मारपीट से परेशान होकर घर से वन स्टॉप सेंटर आई। 

सुमन ने बताया कि उसका पति शराब के नशे में उसे मारता एवं गाली देता था। साथ ही बच्चों  से भी बुरा व्यवहार करता था। चूँकि उसके पास रहने के लिए कोई आश्रय नहीं था इसलिए वह वन स्टॉप सेंटर आई। सुमन ने बताया कि वह बच्चों को अपने साथ रखना चाहती थी।

वन स्टॉप सेंटर ने सुरेंद्र और उसके परिवार वालों को बुलाया और बातचीत की। सहमति के बाद दोनों बच्चों को सुमन के सुपुर्द किया गया। अब सुमन एवं बच्चे स्वाधार गृह में रह रहे हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ सी.एल. पासी के मार्गदर्शन में वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक डॉ वंचना सिंह ने महिला को ना केवल आश्रय दिया बल्कि उसे उसके बच्चों से भी मिलवाया।

ऐसी ही एक और कहानी अनामिका (परिवर्तित नाम) की है, जिनका रेफरल प्रकरण भंवर कुआं थाने से वन स्टॉप सेंटर पहुंचा था। अनामिका ने बताया कि, उनके दो बच्चे हैं। वह नौकरी करती हैं एवं उनका पति राजेश (परिवर्तित नाम) भी मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत है।

इनकी शादी को 12 वर्ष हो चुके हैं, किंतु छोटे-छोटे झगड़ों ने अब बड़ा रूप ले लिया है जिसके कारण अनामिका के पति ने तलाक का नोटिस भेजा।  अनामिका अपने बच्चों के साथ पति के साथ ही रहना चाहती है, एवं तलाक देना नहीं चाहती। जिसके कारण उसने वन स्टॉप सेंटर की मदद ली।

सेंटर पर परामर्श एवं समझाइश हेतु अनामिका के पति राजेश (परिवर्तित नाम) को बुलाया गया। जहां करीब 9 घंटे बातचीत चली, तत्पश्चात पति-पत्नी कुछ बिंदुओं पर सहमत हुए एवं पति तलाक के निर्णय पर पुनर्विचार करने हेतु राजी हुआ।

उल्लेखनीय है कि, वन स्टॉप सेंटर ने संपूर्ण लॉक डाउन के दौरान हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए क्रियाशील रहकर कार्य किया। वन स्टॉप सेंटर की टीम ने कर्तव्यनिष्ठा के साथ घर-घर जाकर भी परामर्श एवं पुलिस सहायता प्रदान की। महिला हिंसा के प्रकरणों पर निरंतर कार्य किया एवं न्याय दिलवाया।

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